भानुप्रतापपुर/ बांसला के जंगल व पहाड़ी में सुलग रही आग, अधिकारी गंभीर नहीं।
दो दिनों से आग लगी हुई है, विभाग मौन।

बांसला के जंगल व पहाड़ी में सुलग रही आग, अधिकारी गंभीर नहीं।
भानुप्रतापपुर@bastar times। गर्मी का मौसम शुरू हो गया है और गर्मी शुरू होते ही जंगलों में आग लगने का सिलसिला भी शुरू हो गया है। वन की सुरक्षा की जिम्मेदारी वन विभाग पर है लेकिन भानुप्रतापपुर परिक्षेत्र के वन परिक्षेत्र अधिकारी मुख्यालय में उपस्थित नहीं रहते न ग्रामीणों का फोन उठाते हैं। दो दिनों से आग लगी हुई है। किसी गांव के जंगल में जब आग लगता हैं तो उसकी सूचना देने के लिए कई बार संपर्क करते हैं लेकिन साहब फोन नहीं उठाते जिस कारण जंगल जल कर खाक हो रहे हैं। वन परीक्षेत्र अधिकारी को जो दायित्व दिया गया है उस दायित्व को अच्छे से निर्वाहन नहीं कर पा रहे हैं। वन विभाग की लापरवाही के कारण ही हर वर्ष क्षेत्र के जंगलों में कई बार आग लगने पर समय पर जानकारी नहीं मिल पाती है। वैसे जंगल में आग लगने से विभाग के अधिकारियों को फायर का मोबाइल पर मिल जाता है लेकिन उसके बाद भी आग पर विभाग काबू नहीं पा रही हैं। इससे वनों को तो नुकसान होता है, साथ ही वन्य जीवों पर भी संकट खड़ा हो जाता है।
ग्राम चवेला के जंगल व बांसला के पहाड़ी में सोमवार देर शाम को आग लगी हुई हैं लेकिन देर रात तक वन विभाग को पता नहीं चला ग्रामीण इसकी सूचना भी विभाग को देने चाहे लेकिन भानुप्रतापपुर वन परिक्षेत्र अधिकारी मोहन नेताम किसी का फोन उठाना जरूरी नहीं समझते। पत्रिका के टीम के द्वारा आग लगने की सूचना वन परिक्षेत्र अधिकारी मोहन नेताम व एसडीओ आईपी गैंदले को जानकारी दिया गया जिसके बाद देर रात्रि आग पर काबू पाया गया। ग्राम चवेला के जंगल में देर शाम को जंगल में आग लग गई थी लगभग चार घण्टे तक आग सुलकती रही लेकिन देर रात तक विभाग के कोई कर्मचारी अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचे थे जिस कारण आग धीरे धीरे जंगल में फैल रही थी जिसके बाद करीब 10 बजें आग पर काबू पाया गया। ग्राम बांसला के पहाड़ी में आग लग गया था और धुएं के कारण जंगल में रहने वाले पक्षी झुंड बनाकर पलायन करते नजर आ रहे हैं। वहीं, वन विभाग के अधिकारी आग की खबर से बेफ्रिक हैं।
पहाड़ी क्षेत्र में कई बार लगती है आग
ग्राम बांसला स्थित पहाड़ व जंगल मे गर्मी के दिनों में कई बार आग की चपेट में आ जाता है। कई बार पहाड़ी से लकड़ी चोरी करने वालों व शरारती तत्वों के द्वारा आग लगा दी जाती है। जिसके कारण वनों को अत्यधिक क्षति होती है। जिस क्षेत्र में महुआ के पेड़ हैं, वहां महुआ बीनने वालों के द्वारा कभी-कभी सफाई के लिए आग लगा दी जाती है। जिसके कारण वनों में आग लगने की घटना होती है।
आगजनी का प्रमुख कारण लापरवाही
जंगलों में आगजनी के लिए जिम्मेदार वहां जाने वाले लोग ही होते हैं। शाम के समय हवा चलती है, इसी समय इनके द्वारा जंगल में आग लगा दी जाती है। वहीं, रात में निगरानी नहीं होती। ऐसे में बड़ी आगजनी की आशंका बनी रहती है। इसी तरह बीड़ी पीने वाले लोग भी आग को बुझाए बगैर जंगल में फेक देते हैं। इससे आग लगने की घटनाएं हो जाती है।
जान बचाने को आबादी वाले इलाकों में आ रहे जंगली जानवर
पतझड़ का मौषम शुरू होते ही जंगल में अधिक आग की घटनाएं सामने आ रही है। ऐसे में आग से निपटने के लिए वन विभाग ने तैयारियां तो की है लेकिन आग को बुझाना इतना आसान नहीं है। आग से बचने के लिए जंगली जीव आबादी वाले इलाकों में जा रहे हैं, जो कि एक अलग चिंता का विषय है। वनों को आग से बचाने के लिए पर्याप्त मात्रा में कर्मचारी तैनात किए गए हैं। पंचायतों समेत आम आदमी को जंगलों की सुरक्षा के लिए जागरूक करने का भी प्रयास किया जा रहा है। आग लगाने वाले लोगों के प्रति पकड़े जाने पर कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
वन सुरक्षा समितियां पंगु
शासन ने पर्यावरण को बढ़ावा देने वनों की सुरक्षा करने गांव-गांव में वन सुरक्षा समितियों का गठन भी किया है जो वनों की सुरक्षा के साथ साथ पर्यावरण जागरूकता के लिए भी कार्य करती हैं किंतु यहां तो वन सुरक्षा समिति सिर्फ कागजों में बनी हुई है। इसलिए वनों की सुरक्षा ताक पर है और वन तस्कर खुलेआम शासन के नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं।
उप मंडलाधिकारी पूर्व वन मंडल भानुप्रतापपुर – आई पी गैंदले
आग लगने की जानकारी आपके माध्यम से मिल रही हैं टीम भेज कर आग को बुझाया जाएगा। ग्रामीण को जागरूक भी किया जा रहा है कि वनों को आग न लगाने को लेकर।