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पखांजुर/ शांतिनगर की सड़कों पर कीचड़ ही कीचड़, हर चुनाव में मिलता है केवल वादा, हकीकत में जीरो विकास।

शांतिनगर की सड़कों पर कीचड़ ही कीचड़, हर चुनाव में मिलता है केवल वादा, हकीकत में जीरो विकास।

पखांजुर, 9 जुलाई/ साल की पहली ही बारिश से ही चंदनपुर पंचायत अंतर्गत ग्राम शांतिनगर पी. व्ही. 70 की जमीनी हकीकत को उजागर कर दिया है। इस गांव में आज तक पक्की सड़क न बन पाने के कारण हर साल बरसात में सड़कें कीचड़ में तब्दील हो जाती हैं। स्थिति यह है कि न पैदल चलना आसान है, न बाइक या साइकिल चलाना। आए दिन फिसलन से ग्रामीणों को चोटिल होना पड़ता है, जिससे दुर्घटनाओं की आशंका बनी रहती है।

ग्रामीण देवजीत सरकार ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि हर चुनाव में नेता चाहे कांग्रेस हो या भाजपा पक्की सड़क बनाने का वादा करते हैं। मगर चुनाव जीतने के बाद कोई भी इस ओर ध्यान नहीं देता। हम हर साल कीचड़ भरी सड़कों में फंसे रहते हैं। चुनाव के समय नेताओ की गांव-गांव दौरे होते हैं, वादों की झड़ी लगती है। मगर जैसे ही वोट डलते हैं, नेता फिर अगले 5 साल के लिए गायब हो जाते हैं
सवाल केवल ग्राम शांतिनगर की दुर्दशा की कहानी नहीं, बल्कि पखांजुर क्षेत्र के उन सैकड़ों गांवों का है जहां चुनावी वादे तो होते हैं, मगर काम ज़मीन पर नहीं उतरते। अब समय आ गया है कि शासन-प्रशासन और जनप्रतिनिधि अपने वादों को निभाएं, ताकि ग्रामीणों को कीचड़ भरी सड़कों से मुक्ति मिल सके।

बच्चों और मरीजों को सबसे ज्यादा दिक्कत।

शांतिनगर गांव के लोगों का कहना है कि पक्की सड़क के अभाव में जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। स्कूल जाने वाले बच्चों को रोज कीचड़ से होकर गुजरना पड़ता है। उनके कपड़े और जूते गंदे हो जाते हैं, और कई बार वे स्कूल देर से पहुंचते हैं या जाते ही नहीं। इसी तरह कोई मरीज बीमार हो जाए तो उसे अस्पताल तक पहुंचाना किसी चुनौती से कम नहीं होता। कीचड़ में फंसे वाहनों को धक्का देना पड़ता है, कई बार एंबुलेंस तक गांव में नहीं आ पाती।

स्थानीय प्रशासन पर उठ रहे सवाल।

ग्रामीणों का आरोप है कि उन्होंने कई बार स्थानीय प्रशासन, जनप्रतिनिधियों और पंचायत को आवेदन देकर पक्की सड़क बनाने की मांग की है, लेकिन ग्रामीणों की मांगों को कोई सुनने वाले नही है।

राजनीतिक वादों की हकीकत।

चुनावों में सड़क, बिजली, पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रमुख म होते हैं। शांतिनगर जैसे गांवों की हालत यह दिखाती है कि ये वादे ज़मीनी स्तर पर कितने खोखले साबित होते हैं। अगर बरसात के पहले ही महीने में सड़कें कीचड़ से भर जाएं और ग्रामीणों का जीवन ठहर जाए, तो यह विकास की दिशा में एक गंभीर सवाल है।

ग्रामीणों ने दी चेतावनी।

गांव वालों का कहना है कि अगर जल्द ही सड़क निर्माण की दिशा में ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो वे आने वाले समय में चुनाव बहिष्कार जैसे कदम उठाने से पीछे नहीं हटेंगे।

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