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पखांजुर/ बारदा-बलरामपुर से परतापुर–संगम मार्ग की हालत बदतर, सड़क बनी तालाब, ग्रामीणों ने दी आंदोलन की चेतावनी।

हादसों का मार्ग बना मुख्य सड़क, शासन-प्रशासन बेखबर, जनप्रतिनिधियों पर उठे सवाल।

दा-बलरामपुर से परतापुर-संगम मार्ग की समस्या, सड़क निर्माण, तालाब बार, ने दी आंदोलन की चेतावनी।

पखांजूर, 24 जुलाई/ बारदा-बलरामपुर को परतापुर और संगम को जोड़ने वाली मुख्य सड़क इन दिनों अपनी जर्जर स्थिति को लेकर चर्चा में है। भारी बारिश के कारण यह सड़क अब तालाब का रूप ले चुकी है। आए दिन हो रही कोचिंग और कोचिंग में आ रही स्टूडियो ने विद्यार्थियों की चिंता बढ़ा दी है। यह मार्ग अब जोखिम से भरा रास्ता बन गया है, जिससे हर दिन सैकड़ों लोग जान जोखिम में डूबकर यात्रा कर रहे हैं। यह सड़क क्षेत्र के विद्यार्थियों, किसानों, आदिवासियों और किसानों के लिए जीवन रेखा के समान है। प्रतिदिन इस मार्ग से इंडोनेशिया, मालवाहक आकस्मिक वाहन, बाइक और साइकिल सवार यात्राएं होती हैं, लेकिन सड़क इतनी खराब है कि हर कदम पर खतरा बना रहता है।

ग्राम पी.व्ही. 63 के प्रमुख ग्राम समर मढ़ा, ग्रामीण परमेश मंडल, आकाश राय ने बताया कि इस सड़क की परतों की मांग वर्षों से कर रहे हैं। लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. रिव्यू में बताया गया है कि सड़क पर किनारे से लेकर पैर तक गहरे पानी हैं, जो पानी से पूरी तरह भरे हुए हैं। किस सड़क पर कौन सा सामान चलाना भी मुश्किल हो गया है।

पुल-पुलियों का हाल भी बर्बाद।

इस मार्ग पर स्थित कई पुल-पुलिये पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गये हैं। न तो इन पर रेलिंग है, न ही स्विच या पुल के पास कोई चेतावनी या साइन बोर्ड लगाए गए हैं। रात के समय या तेज बारिश में यह मार्ग पूरी तरह से अदृश्य साबित हो रहा है।

बांदे-जगदपुर बस सेवा पर भी असर

इस मार्ग से हाल ही में शुरू हुई बंदे से जगदलपुर की बस सेवा को भी भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। बस टिकट और यात्रियों के लिए यह रास्ता अब एक जोखिम भरी चुनौती बन गया है।

कैथोलिक और फोटोग्राफर पर कैथोलिक।

रिव्यूल ने आरोप लगाया कि चुनाव के समय नेता बड़े-बड़े वादे करते हैं, लेकिन चुनाव के बाद क्षेत्र में हुंने तक नहीं आ पाते। वहीं, अधिकारी भी इस गंभीर समस्या पर शैलेश साधे हुए हैं। न तो कोई सर्वेक्षण हो रहा है और न ही कोई वसूली का प्रयास किया जा रहा है।

रिवायत ने दी उग्रवादी आंदोलन की चेतावनी

पी.व्ही. 63 आसपास के क्षेत्र के लोगों ने एक स्वर में चेतावनी दी है कि यदि सड़क यात्रा शीघ्र शुरू नहीं हुई है, तो वे सप्ताहांत पर उतरकर उग्र आंदोलन करेंगे। उनका कहना है कि अब शक्ति की सीमा पार हो गई है, और जनजीवन को सुरक्षित बनाए रखने के लिए उन्हें स्वयं मोर्चा संभालना होगा।

ये सड़क विकास की बात नहीं, अब बदहाली की तस्वीरें बन रही हैं। सवाल यह है कि आखिर कब तक जनता इस खस्ताहाल व्यवस्था की शोभा बढ़ाती रहेगी?

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