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कापसी/ खैरकट्टा जलाशय की नहर में दरारें: करोड़ की परियोजना में घटिया निर्माण, SDO कार्यालय पास होने के बावजूद लापरवाही।

कापसी खैराकाट्टा फोरम की नहर में छापा: करोड़ के प्रोजेक्ट में घटिया निर्माण, एसडीओ कार्यालय के पास होने के आसार।

पखांजूर, 28 जून/  चीनी क्षेत्र में स्थित खैराकाटा ब्रिज से पूर्व सींच परियोजना, करोड़ रुपये की लागत से 14 किलोमीटर लंबी नहर के निर्माण के लिए है, जो निर्माण और सुविधा की साझेदारी पर नजर रख रही है। इस महत्वाकांक्षी योजना का अब तक केवल 5-6 किलोमीटर हिस्सा ही तैयार हो पाया है, लेकिन इस उद्योग के निर्माण में ही कई स्थानों पर उभरने लगे हैं, जिससे निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। स्थानीय वैज्ञानिक और ग्रामवासी भी इस निर्माण की स्थिति को लेकर नाराज हैं। पी.व्ही. 119 के स्टालिन राजवंशी ने कहा कि सरकार जनता के पैसे से चल रही है अगर इसी तरह के कलाकारों की बलि चढ़ाई जाती है, तो विकास की असली तस्वीर कभी सामने नहीं आएगी। बहुत ही घटिया नहर का निर्माण हो रहा है। बनने के पहले बहुत बुरा हो रहा है। जाँच-पड़ताल पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। कुल मिलाकर यह भी बताया गया है कि सस्ते निर्माण कार्य की शिकायत हमने जल संसाधन विभाग के अधिकारियों से की है, लेकिन आज तक किसी भी तरह की कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

जगह-जगह दस्तावेज़: किसानों की उम्मीदों पर पानी।

इस नहर के माध्यम से कापसी-पखांजूर और आस-पास के परमिट तक जल व्यक्ति की योजना थी, जिससे किसानों को किसानों की समस्या से राहत मिलने वाली थी। लेकिन नहर के अभी तक बने हिस्सों में ही कई जगहें दिख रही हैं। इससे साफ है कि निर्माण में घटिया सामग्री का उपयोग किया गया है।

किसान संघ ने मुख्यमंत्री के नाम का अनुमोदन कर की जांच की मांग की।

घटिया निर्माण कार्य को लेकर भारतीय किसान संघ पखांजूर ने मुख्यमंत्री के नाम अख्तर को याचिका पत्र जारी किया है। याचिका में निर्माण कार्य की उच्च वैज्ञानिक जांच की मांग की गई है। संघ के अध्यक्ष सुजन दास का कहना है कि अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो यह गरीब किसानों के लिए गंभीर संकट बन सकता है। जल्द से जल्द उच्च वैज्ञानिक जांच कर सही तरह से नहर का निर्माण किया जाए। साथ ही पर एक्शन की जाए।

एसडीओ कार्यालय पास में फिर भी नहीं हो रही निगरानी।

विशेषज्ञों वाली बात यह है कि नहर निर्माण स्थल से 4-5 किलोमीटर की दूरी पर एसडीओ (उपसंभागीय अधिकारी) कार्यालय स्थित है, इसके बावजूद निर्माण कार्य की कोई नियमित निगरानी नहीं हो रही है। इससे यह स्पष्ट होता है कि या तो डिवीज़न अधिकारियों की अनदेखी की जाती है या फिर अनदेखी कर सुधारों को बढ़ावा दिया जा रहा है।

जल संसाधन विभाग की ओर से संदेह जताया गया

इस मामले में पूरे जल संसाधन विभाग, कापसी के अधिकारी पूरी तरह से मौन हैं। न तो डिविज़न स्तर पर कोई जांच शुरू हुई है, न ही कोई तकनीकी निरीक्षण। इस प्रोजेक्ट में यह संदेह और गहरा होता जा रहा है कि डिविजनल से ही यह शौचालय निर्माण कार्य हो रहा है। इस मामले में जब जल संसाधन विभाग कापसी के रामलाल धीवर से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मैं अभी बाहर आया हूं, बाद में मुझे बोलकर जवाब देने से बचूंगा।

अब सवाल यह है कि अगर करोड़ रुपये की इस नहर परियोजना का समय निर्धारित नहीं किया गया तो इसका सीधा असर क्षेत्रीय कृषि व्यवस्था पर पड़ेगा। सींच की सुविधा के अभाव में किसानों की मेहनत फिर पानी होगी और सरकार की साख भी दांव पर लगेगी। इसलिए यह पता लगाया जाता है कि उच्च स्तरीय तकनीकी जांच के लिए रंगीन प्रोजेक्टों के खिलाफ एक्शन लिया जाए, ताकि अपने सही उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए इस योजना को शुरू किया जा सके।

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