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रायपुर/ ऑनलाइन बैठक में उठी मांग, जनसंचार विषय में प्रशिक्षित लोगों को मिले स्कूलों में पढ़ाने का अवसर।

ऑनलाइन बैठक में उठी मांग, जनसंचार विषय में प्रशिक्षित लोगों को मिले स्कूलों में पढ़ाने का अवसर।

रायपुर/ देशभर के जनसंचार के पूर्व छात्रों और विषय विशेषज्ञों की एक महत्वपूर्ण ऑनलाइन बैठक में यह मांग प्रमुखता से उठाई गई कि स्कूलों में जनसंचार (मास कम्युनिकेशन) विषय को लागू किया जाय और यह विषय केवल उन्हीं शिक्षकों द्वारा पढ़ाया जाए, जिन्हें इस विषय की औपचारिक शिक्षा प्राप्त है और जो इस क्षेत्र में व्यावहारिक अनुभव भी रखते हैं।

यह बैठक हाल ही में 4 मई को आयोजित उस पूर्व बैठक की अगली कड़ी के रूप में आयोजित की गई, जिसमें यह साझा राय बनी थी कि जनसंचार को स्कूली स्तर से पढ़ाया जाना समय की मांग है।

बैठक में वक्ताओं ने कहा कि वर्तमान समय में निजी स्कूलों (CBSE और ICSE) में मास कम्युनिकेशन से जुड़े कुछ अध्याय सामाजिक विज्ञान के अंतर्गत पढ़ाए जा रहे हैं, जिन्हें अन्य विषयों के शिक्षक पढ़ा रहे हैं। इससे छात्रों को विषय की गहराई से समझ नहीं मिल पाती। ऐसे में यह आवश्यक है कि मास कम्युनिकेशन की डिग्रीधारी और फील्ड-एक्सपर्ट ही इस विषय को पढ़ाएं।

वैकल्पिक या अनिवार्य विषय के रूप किया जाय शामिल

वक्ताओं ने यह भी सुझाव दिया कि जैसे विद्यालयों में संगीत, कला, योग, नृत्य जैसे विषयों को शामिल किया गया है, उसी प्रकार मास कम्युनिकेशन को भी वैकल्पिक या अनिवार्य विषय के रूप में शामिल किया जाना चाहिए।

बैठक में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) का हवाला देते हुए कहा गया कि यह नीति स्वरोजगार और कौशल विकास को बढ़ावा देती है, और मास कम्युनिकेशन का शिक्षा क्षेत्र इसमें अहम भूमिका निभा सकता है। इसके साथ ही सभी प्रतिभागियों ने इस अभियान के प्रचार-प्रसार की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि जनसंपर्क और मीडिया के माध्यम से सरकार और प्रशासन तक यह मांग पहुँचाई जानी चाहिए।

मीडिया साक्षरता को लेकर गंभीर हुई नई पीढ़ी

बैठक में छात्रों और विशेषज्ञों ने एक स्वर में कहा कि आज जब हर बच्चे के हाथ में स्मार्टफोन है और सोशल मीडिया से सूचना की बाढ़ आई हुई है, तब मीडिया साक्षरता एक जीवन-कौशल बन गई है। छात्रों को यह सिखाना ज़रूरी है कि वे सूचनाओं को पहचान सकें, उनकी सत्यता जांच सकें और जिम्मेदार संप्रेषक बन सकें।

रोजगार और शिक्षा में अवसर

प्रतिभागियों ने इस दिशा में भी जोर दिया कि अगर जनसंचार को स्कूलों के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया, तो यह न केवल छात्रों को नए करियर विकल्प देगा, बल्कि जनसंचार के पढ़े-लिखे विशेषज्ञों के लिए भी स्कूली शिक्षा में रोजगार के नए रास्ते खोलेगा।

नीति निर्माताओं को भेजा जाएगा सुझाव

बैठक में यह तय किया गया कि अब एक ठोस प्रस्ताव तैयार कर NCERT, CBSE, SCERT, और शिक्षा मंत्रालय को भेजा जाएगा। इसके साथ ही सभी राज्यों के शिक्षा विभागों को भी पत्र भेजकर इस विषय को राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने की मांग उठाई जाएगी।

बैठक में सभी ने दोहराया कि जनसंचार को सिर्फ विषय नहीं, एक मिशन की तरह लिया जाए, और इसके लिए प्रशिक्षित एवं अनुभवी जनसंचार विशेषज्ञों की भूमिका को अनदेखा नहीं किया जा सकता। स्कूलों में जनसंचार की शिक्षा, सही दिशा में पहला कदम तभी होगी, जब उसे पढ़ाने का जिम्मा सही हाथों में सौंपा जाएगा।

ऑनलाइन बैठक में डॉ. मुंकेश शुक्ल, देवेश विश्वकर्मा, सचिन यादव, आनंद कुमार, नवनीत शर्मा अमन, ज्योति, अनिल, श्रीदाम ढाली सहित अन्य जनसंचार विषय के अतिथि शिक्षक और शोधार्थी उपस्थित रहे।

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