
केन्द्र सरकार की प्रस्तावित नई कृषि मार्केटिंग नीति के विरोध में एआईकेकेएमाएस ने धरना देकर ज्ञापन सौपा।
पखांजुर/ ऑल इण्डिया किसान खेत मजदूर संगठन ने केन्द्र सरकार की प्रस्तावित नई कृषि मार्केटिंग नीति के खिलाफ पुरे देश के साथ कोयलीबेड़ा ब्लॉक मुख्यालय में एक दिवसीय धरना प्रदर्शन पश्चात अनुविभागीय अधिकारी रा. पखांजुर के हाथों मुख्यमंत्री, कृषिमंत्री, विधायक के नाम पर ज्ञापन सौपा। आपको बतादे कि भारत सरकार की “प्रस्तावित नई कृषि मार्केटिंग नीति” को तत्काल प्रभाव से रद्द करने और किसानों की लागत से डेढ़ गुना( सी 2+50%) एमएसपी दरों पर तमाम फसलों की सरकारी खरीदी का गारंटी करेंने कि छत्तीसगढ़ विधानसभा में प्रस्ताव पारित करके प्रधानमंत्री को प्रेषित करने कि अपिल किया है । छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा समिति के माध्यम से धान समर्थन मूल्यों में खरीदे और किसानों के हितों की रक्षा के लिए बहुत कुछ किया, फिर भी लाइसेंस प्राप्त व्यापारियों, आढ़तियों पर इस समिति का कुछ नियंत्रण होता है और इस प्रकार कुछ हद तक एक प्रकार की मूल्य निर्धारण प्रणाली के कानून की कम से कम एक झलक तो दिखाई पड़ती है। लेकिन भूमण्डलीकरण के बाद की अवधि में, सरकार ने एपीएमसी मण्डियों के अलावा निजी मण्डियां स्थापित करने का फैसला किया था। तब उसका तर्क था कि इससे किसानों के हितों की रक्षा होगी और उन्हें प्रत्यक्ष और खुले बाजार और संगठित खुदरा बाजार तक पहुंच बनाने में मदद मिलेगी और इस तरह वे ‘कच्चे माल की आसान आपूर्ति, कृषि प्रसंस्करण इकाइयों और सूचना आदान-प्रदान करने और मार्केटिंग की नई नई प्रणालियां अपनाने’ का लाभ उठा पाएंगे। लेकिन, असल में ये सब बिल्कुल इससे उल्ट करने के बहाने थे। तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने एपीएमसी अधिनियमों को संशोधित किया था और खरीद का एक हिस्सा निजी भागीदारों के हाथों में सौंप दिया था, अनुबंध खेती को कानूनी मान्यता दी थी और इस तरह एकाधिकारी कम्पनियों के आक्रमण को बढ़ाने का मार्ग खोल दिया था। संगठन ब्लॉक अध्यक्ष अजित मिस्त्री ने बताया कि सत्ता में आने के बाद भाजपा की केंद्र सरकार ने भी इसी रास्ते पर तेजी से कदम बढ़ाए और इसका नतीजा यह हुआ कि किसानों की हालत बहुत खराब हो गई है। और अब भाजपा की केंद्र सरकार “कृषि मार्केटिंग की राष्ट्रीय नीति” के नये प्रस्ताव के माध्यम से देश के सामने तमाम कृषि पैदावार – चावल, गेहूं, दाल, सब्जियां, तिलहन, दूध, मांस और उपभोग की अन्य वस्तुओं के निजीकरण की एक व्यापक योजना पेश कर रही है। इतना ही नहीं, वे आधुनिकीकरण के नाम पर एपीएमसी के माध्यम से मार्केटिंग की वर्तमान प्रणाली को पूरी तरह से बहुराष्ट्रीय कंपनियों को सौंपने की कोशिश कर रहे हैं इसका मतलब यही है कि कृषि मार्केटिंग प्रणाली का पूरी तरह से निजीकरण कर दिया जायेगा। उप सचिव जयंत सरकार,ने बताया कि किसानों ने कृषि मार्केटिंग प्रणालियों के निजीकरण की मांग नहीं की है। इसलिए नहीं की है , क्योंकि वे जानते हैं कि यह निजीकरण उनके जीवन को बर्बाद कर रहा है। कृषि उपयोगी सामाग्री खाद , बीज, कीटनाशक ,कृषिसामाग्री वस्तु आदि के मामले में निजीकरण का अनुभव यह है की सारे बस्तुओं की कीमतें इतनी बढ़ गई हैं कि किसानों के लिए व्यावहारिक रूप से असहनीय हो गई हैं।कोषाध्यक्ष महेश मण्डल ने बताया कि किसान अच्छी तरह जानते हैं कि बहुराष्ट्रीय कम्पनियां उनके मित्र नहीं हैं। वे जानते हैं कि ये मुनाफ़ाखोर हैं। ये दैत्य कम्पनियां सिर्फ ज्यादा मुनाफा के अलावा कुछ भी नहीं जानती। और अगर ये दैत्य कम्पनियां पूरी मार्केटिंग प्रणाली को नियंत्रित कर लेती हैं, तो वे किसानों की उपज को सस्ती दरों पर खरीदेंगी और आम लोगों को बहुत ज्यादा रेट पर बेचेंगी। किसान और आम लोग नष्ट हो जाएँगे।छत्तीसगढ़ राज्य से पुरे देश में भयंकर भुखमरी छा जायेंग।
सचिव अनिमेष विश्वास ने संगठन कि ओर से किसानों कि ज्वलंत समस्याओं का जल्द समाधान करने विविध मांगों को पुरा करने की गुहार लगाई.बैंक लोन, महाजन ऋण, सोसायटी,समिति कर्ज आदि किसानों का समस्त कर्जा माफ करें।. खाद, बीज, कीटनाशक, कृषि यंत्र 75% अनुदान राशि किसानों को दे ,प्रति,। 5 पांच एचपी तक मोटर का बिजली फ्री करें , पम्प मशीन, सेच लिफ्ट पयेंट बिजली एवं डीजल में 75% अनुदान राशि दिया जाए। प्राकृतिक आपदा से क्षतिग्रस्त फसलों का समुचित लाभदायक मुआवजा दी जाए।. नदी, नाला में स्टप डैम, लिफ्ट इरिगेशन, सर्वजनिन वोर, सिंचित तालाब निर्मित कर समस्त खेतो में सिचाई हेतु साल भर पानी कि गारंटी दे ।.भुमीहीन किसानों को भुमि आवंटन, खेतिहार मजदूरों को सालभर मजदूरी देने का गारंटी करें।.जंगली जानवर, आवारा मावेशीओं से फसलों कि सुरक्षा एवं क्षतिग्रस्त फसलो का लाभदायक समुचित मुआवजा दी जाए ।. रबी- खरीफ दोनो सिजनो कि फसलों को समर्थन मूल्य में किसानों का पुरा पुरा फसलें खरीदा जाए।और रबी सीजन में मक्का फसल बीमा करने कि प्रस्ताव पारित किया जाए।. किसानों कि फसलों का सुरक्षा हेतु प्रत्येक ब्लॉक में कम से कम दो बड़े-बड़े कोल्डस्टोरेज निर्माण किये जाऐ। .साल भर मण्डी खोला जाए एवं कृषि उपजो को सही किमत पर सरकार द्वारा खरीदने कि गारंटी करें।और प्रत्येक पंचायत में धान / मक्का खरीदी केन्द्र खोला जाए। हाट बाजार हेतु सप्ताह में 5 क्विंटल धान / मक्का नगद में खरिद करें। .उम्र 60 वर्ष से अधिक उम्र की महिला-पुरुष किसानों को प्रति माह 10,000/-रुपये पेंशन दिया जाए।. फसल बीमा नीजी कम्पनी को ना देकर सार्वजनिक कम्पनी को दिया जाए तथा बीमा प्रिमियम राशि सरकार 90 % प्रतिशत और किसानों से 10 % प्रतिशत लिआ जाए। परलकोट क्षेत्रों में कृषि भूमि में फसल की वास्तविकता को देखते हुए कृषि भूमि का नवीन नकसा खसरा बनाए जाए एवं उक्त भुमी का मालिकाना पट्टा दिया जाए।. कृषि ऋण एवं समर्थन मूल्य में फसल बिक्री का भुगतान राशि प्राप्ति हेतु बैकों मे किसानों के लिए अलग एवं अधिक काउंटर कि वैकल्पिक व्यवस्था किया जाए। तथा जिला- सहकारी बैंकों से किसानों के मांग अनुसार उनके खाते से आहरण करने की मांग अनुसार पूरी – पूरी राशि भुगतान करें। ज्योत्सना, दिपाली, बासुदेव, सुकदेव बोगा, मैनु, राजेश, नरसु, सुमित, बुदराम, दिलिप, अभिमन्यु, तरुण अदि उपस्थित रहे।